Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 1 min read

*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*

पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)
_________________________
1)
पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे
एक दिवस आएगा खाली, भीतर से हो जाओगे
2)
मिले बाप-दादा से धन की, समझ न पाओगे कीमत
दॉंतों से पकड़ोगे तब ही, जब तुम स्वयं कमाओगे
3)
दुनिया क्या कहती है इस पर, ज्यादा चिंता मत करना
दुनिया कमी निकालेगी ही, जो भी कदम उठाओगे
4)
खर्च अनावश्यक कम कर लो, भरो सादगी जीवन में
शांति और सुख सच्चा तब ही, भीतर तक पहुॅंचाओगे
5)
नकली चमक-दमक से शायद, भरमा लोगे दुनिया को
लेकिन सच्ची शांति हृदय में, बोलो कैसे लाओगे
6)
जग के सारे रिश्ते झूठे, बनते और बिगड़ते हैं
केवल मॉं की लोरी में ही, सच्ची ममता पाओगे
7)
अपना सब कुछ छोड़-छाड़ जो, बेटों को दे जाता है
मूल्य पिता का अगर न समझे, जीवन-भर पछताओगे
8)
सात जन्म का रिश्ता है यह, दो दिन की संविदा नहीं
पाणि-ग्रहण का मतलब है यह, सातों जन्म निभाओगे
9)
नए कर्ज से माना तुमने, किया पुराना ऋण चुकता
लेकिन प्रश्न यही है ऐसा, कब तक चक्र चलाओगे
10)
ओ! कॅंदले के आभूषण तुम, सोने-से दिखते तो हो
हुई जॉंच जिस दिन लज्जा से, सिर फिर कहॉं छुपाओगे
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

76 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
#लघुकथा / #विरक्त
#लघुकथा / #विरक्त
*Author प्रणय प्रभात*
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
ruby kumari
3151.*पूर्णिका*
3151.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैसे पाएं पार
कैसे पाएं पार
surenderpal vaidya
ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
Amit Pathak
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
Suryakant Dwivedi
यह मन
यह मन
gurudeenverma198
"तब कोई बात है"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता// घास के फूल
कविता// घास के फूल
Shiva Awasthi
“मेरे जीवन साथी”
“मेरे जीवन साथी”
DrLakshman Jha Parimal
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
मनोज कर्ण
कभी कभी प्रतीक्षा
कभी कभी प्रतीक्षा
पूर्वार्थ
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
भगतसिंह का क़र्ज़
भगतसिंह का क़र्ज़
Shekhar Chandra Mitra
हमें पता है कि तुम बुलाओगे नहीं
हमें पता है कि तुम बुलाओगे नहीं
VINOD CHAUHAN
सुनो तुम
सुनो तुम
Sangeeta Beniwal
क्या ये गलत है ?
क्या ये गलत है ?
Rakesh Bahanwal
सूर्य देव
सूर्य देव
Bodhisatva kastooriya
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Mukesh Kumar Sonkar
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
इंटरनेट
इंटरनेट
Vedha Singh
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
*सदा सन्मार्ग के आखिर में, अनुपम हर्ष आता है 【मुक्तक】*
*सदा सन्मार्ग के आखिर में, अनुपम हर्ष आता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
Loading...