आँखें कमल दिल सर्द की धूप
जिसे हम चाहते वो ग़जब का प्यार तुम्हारा है।
आँखें कमल दिल सर्द की धूप यार तुम्हारा है।।
तेरे ख़्वाबों का घर,मेरी आँखें हैं हो गई।
दिल के चमन में प्यार की कली है यार खिल गई।
याद हवा का झोंका,अदाएँ सार तुम्हारा है।
आँखें कमल दिल सर्द…………………………।
इश्क़ के समंदर में शकूं के मोती मिलते हैं।
दो सच्चे प्रेमी जब एक होने को चलते हैं।
दिल के नग़मों में सज़ा शृंगार तुम्हारा है।
आँखें कमल दिल सर्द…………………………।
आके गले लग ज़रा दिल की तड़फ मिट जाएगी।
मेरी बाहोँ में जब,तू मद से सिमट जाएगी।
लगे स्वर्ग-सा मिलन सनम ये प्यार तुम्हारा है।
आँखें कमल दिल सर्द………………………….।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
***********************