जब कोई बात समझ में ना आए तो वक्त हालात पर ही छोड़ दो ,कुछ सम
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
5 हाइकु
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
औरों की तरह हर्फ़ नहीं हैं अपना;
मसला सुकून का है; बाकी सब बाद की बाते हैं
बेपनाह थी मोहब्बत, गर मुकाम मिल जाते
अगर बात तू मान लेगा हमारी।