*सर्दी की धूप*
सर्दी की धूप
यह ठिठुरन वाली सर्दी,
और बालकनी तक
आती सर्दी की धूप।
संग पुरानी कुर्सी,
चरमराती सी।
गुमसुम पड़ी किताबें,
और चिपके हुए पन्ने।
कह रहें हो मानो,
मिल जाए सर्दी की,
थोड़ी सी धूप ।।
जो झूले ठंड के
कारण थे खाली पड़े।
कड़कड़ाती ठंड में
थे सर्द पड़े।
आज बच्चों की टोली,
उनपर झूला झूल रही है।
वह झूले भी प्रसन्न,
प्रतीत हो रहे मानो
अकेलेपन से थे सिसक रहे
जब मिली उन्हें,
सर्दी की धूप।।
छत पर हैं दादा-दादी,
और बच्चों की टोली
संग मां रस्सियों पर,
कपड़े सुखाते,
धूप सेकती।
धूप से सड़कों पर,
चहल-पहल और
लोगों की आवाजाही
का शोर।
जब मिली उन्हें,
सर्दी की धूप।।
पौधों पर ओस की बूंदें,
मोती की भांति।
चमक जाती हैं।
पत्ते भी खिलखिलाते,
हरे होकर।
जब पड़ती उनपर,
सर्दी की धूप।
पालतू जानवरों का
झुंड नज़र आता है।
दौड़ते, खेलते,
अंगड़ाइयां लेते,
जब मिलती उन्हें
सर्दी की धूप।।
सर्दी की धूप ,
लगती कितनी प्यारी।
दूर करती शरीर की सर्दी,
बन जाती डॉक्टर,
देती कैल्शियम
और विटामिन डी।
जिससे होती हड्डियां
मजबूत ।
सर्दी की धूप कितनी प्यारी,
लगती मनमोहक
और न्यारी ।
हो पाए तो
लीजिये ज़रूर,
ठिठुरन में सर्दी की धूप।।
डॉ प्रिया।
अयोध्या।।