“सरताज”
“सरताज”
समझे अगर जो पीर पराई,
आज होते वही सरताज है।
दूजी बार न चढ़ी हांडी काठ की,
ये सच कल भी था और आज है।
“सरताज”
समझे अगर जो पीर पराई,
आज होते वही सरताज है।
दूजी बार न चढ़ी हांडी काठ की,
ये सच कल भी था और आज है।