Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2023 · 2 min read

*सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)*

सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)
—————————————
पास भी एक प्रकार से टिकट ही होता है। लेकिन टिकट में पूंजीवाद की गंध आती है, इसलिए अच्छी शब्दावली का प्रयोग करने वाले लोग पास का प्रयोग करते हैं। अगर बेचो, तो पास टिकट बन जाता है। न बेचो, तो पास जुगाड़ हो जाता है।
भारत जुगाड़-प्रधान देश है। अतः जुगाड़ पर आधारित पास व्यवस्था अपने देश में खूब चलती है। जिसके पास में पास है, वही खास है। जिसके पास पास नहीं है, वह मामूली है। जिस तरह मूली का कोई भाव नहीं होता, इसी तरह बिना पास वाले मामूली आदमी का क्या महत्व ?
सरकारी कार्यक्रम के मुख्य द्वार पर केवल एक ही बात देखी जाती है कि तुम्हारे हाथ में पास है अथवा नहीं ? इसी से व्यक्ति के महत्व का निर्धारण होता है। मामूली आदमी के पास भला पास कहां से आएगा ? यह तो शत प्रतिशत नेताओं और अफसरों के चमचों के लिए आरक्षित होता है। जो नेता के जितने पास है, उसे उतनी ही सरलता से पास मिल जाता है। व्यक्ति को चमचागिरी में पारंगत होना चाहिए, एक छोड़ दस पास कहीं के भी ला सकता है।
शहर में अगर बीस लोग घूम रहे हैं और उनमें से दो व्यक्तियों के पास पास है, तो वह मान्यता प्राप्त विशिष्ट व्यक्ति बन जाते हैं । लोग एक दूसरे से पूछते हैं “क्या तुम्हारे पास पास आया है?”
जिनके पास पास होता है, वह कई बार सोशल मीडिया पर गर्व सहित इसकी घोषणा करते हैं। पढ़कर ज्यादातर लोग ईर्ष्या से भर उठते हैं। अरे! यह तो पास वाले हो गए हैं। अगर किसी के पड़ोसी को पास मिल जाए तो यह ईर्ष्या चार गुना बढ़ जाती है।
अपने आप से सरकारी कार्यक्रम में पास वितरित करने की कोई व्यवस्था नहीं होती। आमतौर पर यह रेवड़ी बॉंटने जैसा कार्यक्रम होकर रह जाता है। नेताओं का महत्व पास बांटने से बढ़ता है। चार लोग उनके पास जाते हैं। वह उन्हें पास देते हैं। अपने पास बिठाते हैं। पास लेने वाला धन्य हो जाता है। अफसर अधीनस्थ अफसर को पास बॉंटते हैं। मुफ्त में पास नहीं बॅंटेंगे तो चमचों का क्या होगा ? जुगाड़ पर दुनिया टिकी हुई है। चमचे से बेहतर पास का जुगाड़ भला कौन कर सकता है ? अगर आपको पास चाहिए तो किसी चमचे से संपर्क करें। वह जरूर दिला देगा।
—————————————-
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

1 Like · 131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
Anil Mishra Prahari
कहार
कहार
Mahendra singh kiroula
लहू जिगर से बहा फिर
लहू जिगर से बहा फिर
Shivkumar Bilagrami
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
दरकती है उम्मीदें
दरकती है उम्मीदें
Surinder blackpen
22-दुनिया
22-दुनिया
Ajay Kumar Vimal
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
😢शर्मनाक दोगलापन😢
😢शर्मनाक दोगलापन😢
*Author प्रणय प्रभात*
किसका  हम शुक्रिया करें,
किसका हम शुक्रिया करें,
sushil sarna
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
gurudeenverma198
"जीवन का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
हर मुश्किल से घिरा हुआ था, ना तुमसे कोई दूरी थी
हर मुश्किल से घिरा हुआ था, ना तुमसे कोई दूरी थी
Er.Navaneet R Shandily
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
मेरी आंखों का
मेरी आंखों का
Dr fauzia Naseem shad
हथेली पर जो
हथेली पर जो
लक्ष्मी सिंह
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बेटी एक स्वर्ग परी सी
बेटी एक स्वर्ग परी सी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विधाता छंद
विधाता छंद
डॉ.सीमा अग्रवाल
3260.*पूर्णिका*
3260.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
"अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
Mukul Koushik
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
Ravi Prakash
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
धरती का बेटा
धरती का बेटा
Prakash Chandra
कितने पन्ने
कितने पन्ने
Satish Srijan
मां शैलपुत्री देवी
मां शैलपुत्री देवी
Harminder Kaur
भूख
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...