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5 May 2023 · 1 min read

दरकती है उम्मीदें

दरकती है उम्मीदें जब कोई छोड़ दें साथ।
टूटता है दिल जब, कोई न पकड़े हाथ।

थक जाते हैं मन कभी ,साथ चलते चलते।
बुझे उम्मीद का दीया ,बस यूं ही जलते जलते।

उदासियां छाई रहती है, दिल के अंगना में।
झनकार नहीं बचती फिर,बाजू के कंगना में।

बचती नहीं है फिर कहीं,हुस्न की रानाईयां।
दिल के पहलू में बसती है सिर्फ तन्हाइयां।

उम्मीदें दरकती है तो, पांव की जमीं सरके
कैसे कहें हम जिंदा रहे बस आह ही भरके।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
171 Views
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