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27 May 2023 · 1 min read

समय बड़ा अलबेला है

ता – ता थैया
खूब नचाए,
समय बड़ा अलबेला है।
कहीं जेब में
बोझिल बटुआ,
कहीं न कौड़ी – धेला है।

कहीं दौड़ता
चीते – सा वह
कहीं हाथ पर बंद घड़ी।
धमा-चौकड़ी
कहीं हो रही,
और कहीं है हाथ छड़ी।

इस दुनिया में
अरमानों का,
कैसा अजब झमेला है।

भागम-भाग
मची है कैसी,
अफरा- तफरी फैली है।
नाचे जीवन
लट्टू जैसा,
अजब निराली शैली है।

कभी झुंड में
उड़ने वाला,
बैठा शाख अकेला है।

चाह लिए
मोती की बैठा,
बस सीपों का ढेर मिला।
भाग्य कोसता
बना बावला,
खुद से करता नहीं गिला।

मक्कारी की
रोटी खाता
कहता सब कुछ झेला है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
184 Views

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