I buried my head in the sky, drowned in the mist.
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
उस साधु को फिर देखने मैं जो गई - मीनाक्षी मासूम
हारना नहीं, हार मानना गुनाह है। हालात से।। (प्रणय)
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,