सब ऋतुओं की रानी हो तुम , बरखा अमर जवानी हो तुम।
सब ऋतुओं की रानी हो तुम।
बरखा अमर जवानी हो तुम।
तुमसे धरा हुल्लसित होती ,
पुष्पित और पल्लवित होती,
बांझ नहीं ये साबित होता,
तेरे वीर्य से गर्वित होती,
कोख करोड़ों से भरती हो,
उर्वरता की रानी हो तुम,
सब ऋतुओं की रानी हो तुम,
बरखा ————————-।
शिशिर , ग्रीष्म सब तेरे चाकर,
सबको जीवन देती आकर,
चौमासे में जो कुछ मिलता,
रखती उसको धरा बचाकर,
कर्ण, दधीचि सब फीके लगते,
महाश्रेष्ठ इक दानी हो तुम,
सब ऋतुओं की रानी हो तुम,
बरखा ————————–।
राह चाव से तेरी तकते,
इतना नहीं किसी पर मरते,
ऋतु सारे ही आवश्यक पर,
लोग प्राण तुमपर ही रखते,
मधुर भाव को जीवित रखती,
ऐसी एक कहानी हो तुम,
सब ऋतुओं की रानी हो तुम,
बरखा —————————।