सब आजकल है
【सब आजकल है】
चंद अल्फाज ही आपके मेरे दरमिया संबल है ,,,
हम अकेले कुछ नही आप सब तो अविचल है,,,
कोई गुमनाम कोई नामी है,,,
कोई बेनाम को सामी है,,,
बस आप ही एक अविरल है,,,
नब्ज भी तासीर भी जानते हो,,,
खास भी गैर भी मानते हो,,,
यहां सभी अपने ही है ये महफ़िल है,,,
कोई नजारे का तलबदार है,,,
कोई नजरो की तलबगार है,,,
सब्र इंतहा रखा करो सब हिलमिल है,,,
वक़्त पर तकाजा जरूरी है,,,
सहज होना भी जरूरी है,,,
कोई अनजान है कोई संगदिल है,,,
सब की मौन होना ही मंजिल है,,
बस चलो जब तन मे दिल है,,,
मानक लाल मनु