सबको
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सबको
बदलने का
ख्वाब देखने _वाले
अपनों को भी _
नही,
बदल पाए ।
यही कारण है ,
शायद_
तभी तो आज उन्हें ,
अपने आप पर,
पश्चाताप हो रहा है ।
राजेश व्यास “अनुनय “
सबको
बदलने का
ख्वाब देखने _वाले
अपनों को भी _
नही,
बदल पाए ।
यही कारण है ,
शायद_
तभी तो आज उन्हें ,
अपने आप पर,
पश्चाताप हो रहा है ।
राजेश व्यास “अनुनय “