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30 Apr 2022 · 1 min read

सबकुछ बदल गया है।

किस्मत ना बदली सबकुछ बदल गया है।
जवानी निकल गईं है बुढ़ापा शुरू हुआ है।।

क्या बताए हाल ए जिंदगी बस यूं समझिए।
मेरी ही कश्ती डूबी सबको किनारा मिल गया है।।

नाम था मान था इज्जत थी शोहरत थी।
ताज तुमनें खुद ही सबको खुद से जुदा किया है।।

सबकुछ करने दिया हमारे इस दिल ने हमको।
पर इस दुनियां में बस पैसा कमानें ना दिया है।।

सुनता था जिंदगी बदल जाती है इक पल में।
बस उसी पल को खुदाने मेरे हिस्से ना दिया है।।

जितने थे अरमां वो सारे के सारे मर गए है।
जब भी की ख्वाहिश बस दम निकल गया है।।

तमाम उम्र हमारी गर्दीशों में कट गई।
पढ़ना लिखना सब ही बेकार हो गया है।।

अहसासे कमतरी पे खूब रोना आया है।
ताज भीड़ से निकल कर तन्हाई में रो दिया है।।

हर बार किस्मत मुझे यूं ही धोखा देती है।
मकसूदे मंज़िल पर आकर दम निकल गया है।।

शायद अब बदल जाए यह मेरी ज़िंदगी।
यही सोचकर ताज हर सितम सह गया है।।

ख्वाहिशें तो ना निकली है इस दिल से।
पर लोग कहेंगे ताज का जनाजा निकल रहा है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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