सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
मुक्तक
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
हार जीत के चक्कर में,इस पर उस पर जौंक रहे हैं।
गज अपनी मस्ती में है, धीरे-धीरे चला गया वो,
किंतु श्वान दल अब भी, उसके पीछे पीछे भौंक रहे हैं।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी