“सन्तुलन”
“सन्तुलन”
ब्रह्माण्ड का अक्षुण्य रहना
सन्तुलन नहीं तो और क्या है?
फूल-काँटे, जीवन-मृत्यु
दिन और रात
मंगल-अमंगल, सत्य-असत्य
ज्ञात और अज्ञात
यही वो यंत्र है,
जिसमें सन्तुलन का मूलमंत्र है।
“सन्तुलन”
ब्रह्माण्ड का अक्षुण्य रहना
सन्तुलन नहीं तो और क्या है?
फूल-काँटे, जीवन-मृत्यु
दिन और रात
मंगल-अमंगल, सत्य-असत्य
ज्ञात और अज्ञात
यही वो यंत्र है,
जिसमें सन्तुलन का मूलमंत्र है।