*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा
- लोग दिखावे में मर रहे -
मेरे जज़्बात को चिराग कहने लगे
क्या कहूं अपने बारे में दुश्मन सा लगता हूं कुछ अपनेपन का छौं
दहेज़ …तेरा कोई अंत नहीं
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
क्यों सिसकियों में आवाज को
मगर हे दोस्त-----------------