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8 May 2024 · 1 min read

कम्बख्त सावन

अभी-अभी तो
तुमसे नजदीकियाँ
परवान चढ़ ही रही थी
अभी-अभी तो
किसी की चाहत के अंकुर
दिल में फूट ही रहे थे
अभी-अभी तो
समंदर की लहरें
किनारों से दोस्ती कर ही रही थी मगर
ये कम्बख्त सावन कहाँ से आ गया
तुझे दर्पण में उतार ले गया
अभी-अभी तो
सतरंगी घूंघट हटाकर
चाँद का दीदार कर ही रहा था
अभी-अभी तो
गुलाब की पंखुरियाँ
खिलना सीख ही रही थी
अभी-अभी तो
इक अजनबी का हाथ थामकर
मंज़िल तलाश रहा था मगर
ये कम्बख्त सावन कहाँ से आ गया
तुझे अपनी बाहों में उड़ा ले गया

Language: Hindi
2 Likes · 117 Views
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