सदम में कोहराम
अब तो खतरा अपने दरमियान हैं
सदन में मचा भारी कोहराम है
रक्षा क्या कर सकेंगे लोकतंत्र की
खतरे में जब भारत का विधान हैं
शपथ लेते हैं सदा रक्षा करने की ,
लेकिन कुर्सी के लिए घमासान हैं
वेवाओं अबलाओं की आंख में आंसू हैं
क्या बगैर बेटियों के हुकुमराम है
जनता को ही कदम उठाना होगा
अगर तुझ में छुपा हुआ इंसान हैं