“सड़क”
“सड़क”
जस-जस बढ़ती हूँ
जोड़ती ही जाती हूँ
सैकड़ों गाँवों-नगरों को,
आसान कर देती हूँ
दुर्गम राहों को
हर एक मंजिलों को।
“सड़क”
जस-जस बढ़ती हूँ
जोड़ती ही जाती हूँ
सैकड़ों गाँवों-नगरों को,
आसान कर देती हूँ
दुर्गम राहों को
हर एक मंजिलों को।