सच और झूँठ
झूठें और बेईमान व्यक्ति जब,मीठे मीठे प्रसंग सुनाते है।
जानते हैं सब फिर भी सबके,मन को बहुत वो भाते हैं।।
झूँठ वाला लाखों के बीच हमेशा अकेला पाया जाता है।
जितना दबाना चाहो झूँठ तुम,झूँठ तेज़ी से आगे बढ़ता जाता है।।
क्योंकि अक्सर झूँठ हमेशा,सच का नक़ाब पहन कर आता है।
और इसीलिए शरीफ व्यक्ति,झूँठ को आसानी से पकड़ नहीं पाता है।।
झूँठ का दामन हर व्यक्ति क्यों, कस कर थाम के रखना चाहता है।
क्या व्यापार क्या घर सरकार,अधिकतर झूँठ से चलाना चाहता है।।
बड़े से बड़े हर झूँठ का अंत हमेशा,बारंबार सच ही तो करवाता है।
सच कठोर कितना भी हो फिर भी,अंत में सच ही स्वीकारा जाता है।।
सच की राह पर चलने वाला ही,हमेशा सफलता को गले लगाता है।
जबकि झूठ बोलने वाला बीच राह में लड़खड़ाकर ही गिर जाता है।।
कहे विजय बिजनौरी सच्चा व्यक्ति,दिलों पर सबके राज कर पाता है।
और झूँठा व्यक्ति चाहने वालों को अपने खून के आंसू रुलाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।