Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Apr 2024 · 1 min read

“बदलाव”

“बदलाव”
जमाना बहुत बदल गया है
अब हर घड़ी हर पल
बे-हिसाब सँवर रहे लोग,
ऊँचे मुकाम के लिए
कितना नीचे उतर रहे लोग।

2 Likes · 2 Comments · 22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
चीरहरण
चीरहरण
Acharya Rama Nand Mandal
जीवन में सुख-चैन के,
जीवन में सुख-चैन के,
sushil sarna
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चुनिंदा लघुकथाएँ
चुनिंदा लघुकथाएँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
Surya Barman
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
प्रीतम श्रावस्तवी
*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मायके से दुआ लीजिए
मायके से दुआ लीजिए
Harminder Kaur
माया
माया
Sanjay ' शून्य'
ईमान धर्म बेच कर इंसान खा गया।
ईमान धर्म बेच कर इंसान खा गया।
सत्य कुमार प्रेमी
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
Ajay Mishra
व्यथित ह्रदय
व्यथित ह्रदय
कवि अनिल कुमार पँचोली
अब उनके ह्रदय पर लग जाया करती है हमारी बातें,
अब उनके ह्रदय पर लग जाया करती है हमारी बातें,
शेखर सिंह
मेरा शरीर और मैं
मेरा शरीर और मैं
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*रामलला का सूर्य तिलक*
*रामलला का सूर्य तिलक*
Ghanshyam Poddar
💐प्रेम कौतुक-363💐
💐प्रेम कौतुक-363💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मोहब्बत के शरबत के रंग को देख कर
मोहब्बत के शरबत के रंग को देख कर
Shakil Alam
2664.*पूर्णिका*
2664.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अब नहीं पाना तुम्हें
अब नहीं पाना तुम्हें
Saraswati Bajpai
ये मौसम ,हाँ ये बादल, बारिश, हवाएं, सब कह रहे हैं कितना खूबस
ये मौसम ,हाँ ये बादल, बारिश, हवाएं, सब कह रहे हैं कितना खूबस
Swara Kumari arya
#सामयिक_रचना
#सामयिक_रचना
*Author प्रणय प्रभात*
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
Shyam Pandey
दोस्ती एक पवित्र बंधन
दोस्ती एक पवित्र बंधन
AMRESH KUMAR VERMA
वो इशक तेरा ,जैसे धीमी धीमी फुहार।
वो इशक तेरा ,जैसे धीमी धीमी फुहार।
Surinder blackpen
एक पूरी सभ्यता बनाई है
एक पूरी सभ्यता बनाई है
Kunal Prashant
लगन लगे जब नेह की,
लगन लगे जब नेह की,
Rashmi Sanjay
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
विडम्बना और समझना
विडम्बना और समझना
Seema gupta,Alwar
Loading...