Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2024 · 1 min read

संवेदना का प्रवाह

संवेदना

शब्दों के जंजाल में,हर रूप-हर काल में ,समय के आगे नतमस्तक सम्वेदना।
हर धड़कन में उसकी गूँज,रक्त सी धाराप्रवाह, ह्रदय के कोनों में बसी सम्वेदना।
आँखों की भावना, ख़ुशी की कामना, सभी रंगों में फैली सम्वेदना।
दुखियों की मुस्कान, सुसामाजिक की थकान , खट्टी मिठास सी सम्वेदना।
प्रेम की गागर , दुःख का सागर, सबकी महाकाव्यों में व्याप्त सम्वेदना।
संघर्ष की राहों में, सफलता के चाहों में, जीवन के पनाहों पर साथ चली सम्वेदना।
अनजाने पथ पर, अपने “आप” के रथ पर , निर्वाण की खोज में उलझी सम्वेदना।
संगीत की सरगम से , कला की छायांकन के, अंतर में उपजी सम्वेदना।
जीवन की रचना द्वारा, सरंचना का बढ़ता पारा , हर क्षण सृजन होती सम्वेदना।
एकता के बल से, भ्रातृत्व के फल से ,संवरते कल से – बुनी हुई सम्वेदना।

4 Likes · 75 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
View all

You may also like these posts

- तेरी मेरी जोड़ी सदा बनी रहे -
- तेरी मेरी जोड़ी सदा बनी रहे -
bharat gehlot
वो अपनी नज़रें क़िताबों में गड़ाए
वो अपनी नज़रें क़िताबों में गड़ाए
Shikha Mishra
2866.*पूर्णिका*
2866.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ एक_पैग़ाम :-
■ एक_पैग़ाम :-
*प्रणय*
पत्थर
पत्थर
manjula chauhan
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अंजुरी भर....
अंजुरी भर....
Shally Vij
पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
DrLakshman Jha Parimal
उधो मन न भये दस बीस
उधो मन न भये दस बीस
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वोट की राजनीति
वोट की राजनीति
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जुदाई  की घड़ी लंबी  कटेंगे रात -दिन कैसे
जुदाई की घड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
Dr Archana Gupta
मेरी लेखनी कहती मुझसे
मेरी लेखनी कहती मुझसे
उमा झा
भूल जा वह जो कल किया
भूल जा वह जो कल किया
gurudeenverma198
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
Celebrate yourself
Celebrate yourself
Deep Shikha
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
पूर्वार्थ
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
धर्म
धर्म
Mamta Rani
"मां की ममता"
Pushpraj Anant
तिजारत
तिजारत
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कोहरा
कोहरा
Ghanshyam Poddar
मित्र भेस में आजकल,
मित्र भेस में आजकल,
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
डॉ. दीपक बवेजा
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
Neeraj Agarwal
कितने बदल गये
कितने बदल गये
Suryakant Dwivedi
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
हिमांशु Kulshrestha
Loading...