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23 Apr 2024 · 1 min read

“बदलाव”

“बदलाव”
वक्त भी बहुत बदल चुका है अब तो
बाप का बेटों पर भी कोई जोर नहीं है,
कुछ सहृदय अब भी बसते गलियों में
पर इंसानी फितूर का कोई तोड़ नहीं है।

1 Like · 1 Comment · 17 Views
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