Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

धर्म

कविता – धर्म

जब बढ़ता है इस धरती में पाप ,हिंसा और अत्याचार
तब कृष्ण लेते है धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार

सीधे-साधे मनुष्यों पर जब-जब होता है दुर्व्यवहार
दुष्कर्मियों का करने विनाश,हर युग में आते पालनहार

जब-जब धर्म की होती हानि,अधर्म का होता जयकार
तब-तब कृष्ण जन्म लेकर, करते हैं दुष्टों का संहार

मिलेंगे यहीं बिछडेंगे यहीं, जिंदगी दो घड़ी का मेला है
जीवन के दो हैं साथी ,भाग्य और दूजा कर्म का खेला है

अर्जुन को हैं संदेश ये देते, द्वारिका के द्वारिकाधीश
रणभूमि में युद्ध कर रहे अर्जुन पर है उनका आशीष

कहते हैं तुम कर्म करो, मत देखो इसका परिणाम
धर्म के लिए लड़ते जाओ, तभी होगा अधर्म का नाश

आएंगे कई अपने,पराये,ये देख मत घबराना तुम
सत्य धर्म का साथ पकड़ कर आगे बढ़ते जाना तुम

धर्म युद्ध में हूँ साथ तुम्हारे, पीछे ना कदम हटाना तुम
धर्म की करने हमेशा रक्षा,अपना फर्ज निभाना तुम

ममता रानी
दुमका,झारखंड

Tag: Poem
1 Like · 50 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Rani
View all
You may also like:
फितरत
फितरत
kavita verma
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी भूलना नह
सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी भूलना नह
Ranjeet kumar patre
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
मैंने पीनी छोड़ तूने जो अपनी कसम दी
Vishal babu (vishu)
फितरत अमिट जन एक गहना
फितरत अमिट जन एक गहना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जब तक रहेगी ये ज़िन्दगी
जब तक रहेगी ये ज़िन्दगी
Mr.Aksharjeet
अपने
अपने
Shyam Sundar Subramanian
स्वयं छुरी से चीर गल, परखें पैनी धार ।
स्वयं छुरी से चीर गल, परखें पैनी धार ।
Arvind trivedi
निशानी
निशानी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कल बहुत कुछ सीखा गए
कल बहुत कुछ सीखा गए
Dushyant Kumar Patel
कोरोना चालीसा
कोरोना चालीसा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
धानी चूनर में लिपटी है धरती जुलाई में
धानी चूनर में लिपटी है धरती जुलाई में
Anil Mishra Prahari
यादें
यादें
Dr fauzia Naseem shad
जहां तक तुम सोच सकते हो
जहां तक तुम सोच सकते हो
Ankita Patel
पहले प्रत्यक्ष को
पहले प्रत्यक्ष को
*Author प्रणय प्रभात*
*मधु मालती*
*मधु मालती*
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Are you strong enough to cry?
Are you strong enough to cry?
पूर्वार्थ
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
Jitendra kumar
अयोग्य व्यक्ति द्वारा शासन
अयोग्य व्यक्ति द्वारा शासन
Paras Nath Jha
2498.पूर्णिका
2498.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*राम-अयोध्या-सरयू का जल, भारत की पहचान हैं (गीत)*
*राम-अयोध्या-सरयू का जल, भारत की पहचान हैं (गीत)*
Ravi Prakash
बांध रखा हूं खुद को,
बांध रखा हूं खुद को,
Shubham Pandey (S P)
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
"बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते चाहे जो भी हो।
रिश्ते चाहे जो भी हो।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
पावन सावन मास में
पावन सावन मास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
* प्रभु राम के *
* प्रभु राम के *
surenderpal vaidya
प्यार भरी चांदनी रात
प्यार भरी चांदनी रात
नूरफातिमा खातून नूरी
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
Loading...