संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
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अमृतानंद सरस्वती को
धरूं हृदय में ध्यान।
सजग कर मम दिल को
दें तत्वों का ज्ञान।।
बढ़े सनातन धर्म का
जग में पुण्य प्रताप।
महानदी के तट जनमे
सद्गुरु पवन दीवान।।
मन वाणी की साधना
करें जगत उजियार।
हो वसुधैव कुटुम्बकम्
भागवत कथा का सार।।
चल पड़ा था एक समय
जन जन में आंधी।
जनम जनम नमन करूं
छत्तीसगढ़ के गांधी।।
अश्रुनीर से पुरित होकर
श्रद्धा सुमन चढ़ाऊं।
अमृतानंद सरस्वती के श्री चरणों में शीश झुकाऊं।।
मम हृदय बनें ब्रम्हचर्य आश्रम
अमृतानंद का ध्यान धरूं।
श्री कृष्णारंजन सानिध्य रह
श्री पवन दीवान को प्रणाम करूं।।
मिलें कृपा गुरू चरणों का
साहित्य सृजन का ज्ञान।
राख,शब्द का विश्लेषक
संत कवि पवन दीवान।।
छत्तीसगढ़ की पावन धरा
जन जन का विश्वास।
कर डालूं मैं साहित्य सृजन
तव चरणों की आश।।
ज्ञान केंद्र ब्रम्हचर्य आश्रम
मोक्षदायिनी कुलेश्वर धाम।
वैभव केंद्र राजीव लोचन
जप लीजिएगा सीता राम।।
रग रग में बसा हुआ है
फैल गया है आठों याम। महानदी के कलरव गाती
हे पवन दीवान तुम्हें प्रणाम।।
श्री गुरु के चरण धुल को
रोज लगाऊं माथ।
महामंत्र तव आशीष वचन
शर पर रखिये हाथ।।
चरणानुरागी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग रायपुरविषय,,,संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
दिनांक 3/10/2023
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अमृतानंद सरस्वती को
धरूं हृदय में ध्यान।
सजग कर मम दिल को
दें तत्वों का ज्ञान।।
बढ़े सनातन धर्म का
जग में पुण्य प्रताप।
महानदी के तट जनमे
सद्गुरु पवन दीवान।।
मन वाणी की साधना
करें जगत उजियार।
हो वसुधैव कुटुम्बकम्
भागवत कथा का सार।।
चल पड़ा था एक समय
जन जन में आंधी।
जनम जनम नमन करूं
छत्तीसगढ़ के गांधी।।
अश्रुनीर से पुरित होकर
श्रद्धा सुमन चढ़ाऊं।
अमृतानंद सरस्वती के श्री चरणों में शीश झुकाऊं।।
मम हृदय बनें ब्रम्हचर्य आश्रम
अमृतानंद का ध्यान धरूं।
श्री कृष्णारंजन सानिध्य रह
श्री पवन दीवान को प्रणाम करूं।।
मिलें कृपा गुरू चरणों का
साहित्य सृजन का ज्ञान।
राख,शब्द का विश्लेषक
संत कवि पवन दीवान।।
छत्तीसगढ़ की पावन धरा
जन जन का विश्वास।
कर डालूं मैं साहित्य सृजन
तव चरणों की आश।।
ज्ञान केंद्र ब्रम्हचर्य आश्रम
मोक्षदायिनी कुलेश्वर धाम।
वैभव केंद्र राजीव लोचन
जप लीजिएगा सीता राम।।
रग रग में बसा हुआ है
फैल गया है आठों याम। महानदी के कलरव गाती
हे पवन दीवान तुम्हें प्रणाम।।
श्री गुरु के चरण धुल को
रोज लगाऊं माथ।
महामंत्र तव आशीष वचन
शर पर रखिये हाथ।।
चरणानुरागी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग रायपुर