संजीदगी
बेशक खयाल रहता है
हर वक़्त ही मुझे
पर कुछ न कहती हूँ
ये समझने की बात है
हो गए हैं प्यार में
उम्र दराज अब
संजीदगी कोई समझे
ये समझने की बात है
-शालिनी मिश्रा तिवारी
बेशक खयाल रहता है
हर वक़्त ही मुझे
पर कुछ न कहती हूँ
ये समझने की बात है
हो गए हैं प्यार में
उम्र दराज अब
संजीदगी कोई समझे
ये समझने की बात है
-शालिनी मिश्रा तिवारी