श्रेष्ठ मानव कहलाएगा
श्रेष्ठ मानव कहलाएगा
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(1)
मानव को मानव से उपकार करेगा,
वहीं इंसानों का भगवान कहलाएगा।
न्योछावर कर दूसरों के लिए जिएगा,
अनूठा प्रेम की संग्रह कर पाएगा।।
(2)
हृदय जितना विशाल होगा,
वीरता की उतना मिशाल बनेगा ।
उपकार कर्म से जीवन सजेगा,
खुशियों की बगिया और महकेगा।।
(3)
शोषित पीड़ित वंचित को,
मौलिक अधिकार दिलाएगा।
अन्याय के अंधियारों में ,
न्याय का दीपक जलाएगा ।
(4)
देख कष्ट दूसरों का भला,
अविरल अश्रु बहायेगा ।
आत्मविजेता बनकर वहीं,
श्रेष्ठ मानव कहलाएगा।
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कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822