श्रेष्ठ बंधन
परिवार शब्द में एक शक्ति है,
परिवार का मान करों यह एक भक्ति है।
बंधन है यह श्रेष्ठ रिश्तों का,
जो ईश्वरीय दान है।
हर एक रिश्तों में चोट जरूर होता है,
ईश्वर का वरदान है।
जिस बंधन में खोट नहीं होता हैं,
वही परिवार का नाम है।
खून से बना यह रिश्ता तोड़ नहीं सकते।
मुंह मोड़कर भी अपने परिवार को छोड़ नहीं सकते।
यही अभिमान है।
©® डॉ. मुल्ला आदम अली
तिरुपति – आंध्र प्रदेश
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