नैनों में प्रिय तुम बसे....
Iss chand ke diwane to sbhi hote hai
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
उसकी मोहब्बत का नशा भी कमाल का था.......
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
नन्हीं - सी प्यारी गौरैया।
'सरदार' पटेल
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गाथा जीवन की सदा ,गाता तन का कर्म (कुंडलिया)
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
फिर झूठे सपने लोगों को दिखा दिया ,
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।