शुरुआत की देर है बस
चलिए शुरू करते है,
अभी देर नहीं हुई है,
शुरुआत की देर है बस,
कहते है जब जागो तब ही सवेरा,
विचार करना है बड़ा,
हिम्मत नहीं है छोड़ना,
हिम्मत हौसला रखना ही,
प्रगति पथ का कारण,
कर्म करो संघर्ष करो,
जागो नर-नारी युवा,
कैसे बूढ़ा बाप घसीट रहा,
संसार में जिन्दगी की आश,
झुकी हुई कमर लाठी के सहारे भी,
हौसला भर देता है चलने को,
बस शुरुआत तो करो,
पथ पर पहुँचना है आसान,
आशा की है ये डगर,
चलिए शुरू करते है अभी,
खुद ही हौसलें हो जाएंगे बुलंद,
पा लोगे वही लक्ष्य,
जिसके लिए डर कर रुके थे।
रचनाकार-
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश
मौदहा
हमीरपुर।