शीर्षक: पापा का अंतिम समय
शीर्षक: पापा का अंतिम समय
पापा का अंतिम समय…
आप चले गए बिना बताए यूँ ही चुपचाप
कोई पदचाप भी नही की ओर चल दिये
अंतिम पल में जब आप जा रहे थे
मौत सामने थी पर अपना कोई नही था
पापा का अंतिम समय…
मौत ले गई आपको सुनसान राह पर
जहां से आपका ले जाना उसे आसान हो गया
और बिना किसी से मिले चल दिये आप
माँ राह ताकती रही आपके आने की
पापा का अंतिम समय…
आप आये तो बिल्कुल समय से घर उस दिन भी
पर केवल ओर केवल शरीर रूप में ही
माँ निहारती रही कि शायद अभी उठ कर बोलोगे
कहोगे कुछ तो ,बताओगे कुछ तो
पापा का अंतिम समय…
साँसे अपने आप कैसे रुकी होंगी आपकी
शायद यादे उलझी हों आपकी हम सब मे
तब एक पल के लिए सोचा क्या होगा
मेरे सामने मेरा परिवार होता तो कुछ कह पाता कुछ
पापा का अंतिम समय
आवाज भी दी होगी शायद आपने माँ को पर
वो आवाज नही पहुंची थी माँ तक
साँसे थमती चली गई और आप दूर हो गए हमसे
और उस दिन शिथिल देह ही आपकी घर आई
पापा का अंतिम समय…
वो अंतिम क्षण में आपके दर्शन आज भी याद हैं
खुली आँखों से आपको देखकर रोटी रही
मानो ठहर जायेंगीं दोनों आँखें आप के दर्शन पर ही
आपके चेहरे पर मानो कोई गम नही था उस वक्त
पापा का अंतिम समय…
मृत्यु शाश्वत सत्य हैं अटल हैं होनी ही हैं
पर हम सब को बहुत कष्ट देकर वह ले गई आपको
अपने आगोश में समा लिया उसने उसी वक्त
मौका ही नही दिया कुछ कहने सुनने को
पापा का अंतिम समय…
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद