Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2024 · 1 min read

*सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)*

सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)
________________________
1)
सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है
हुआ देश आजाद दूसरी, आजादी ज्यों आई है
2)
आज अयोध्या तीर्थ बना है, पुण्य प्रदाता त्रेता-सा
रामचरितमानस तुलसी ने, पुलकित होकर गाई है
3)
युग बदला बाईस जनवरी, इतिहासों में वंदित है
राष्ट्रदेव-छवि स्वाभिमान से, देखो शुभ मुस्काई है
4)
आज देश ने रामराज्य को, मन-आसन पर बैठाया
आज देश में रामलला की, घर-घर में छवि छाई है
5)
अब जाकर अपनी संस्कृति को, भारत अपना कह पाया
भारत के आराध्य राम हैं, यह वैभव वरदाई है
6)
गए-गए वह दिन खर-दूषण, सूपनखा वाले काले
धरती से अब आसमान तक, राम-ध्वजा फहराई है
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

101 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भरोसा सब पर कीजिए
भरोसा सब पर कीजिए
Ranjeet kumar patre
अपनों के अपनेपन का अहसास
अपनों के अपनेपन का अहसास
Harminder Kaur
ONR WAY LOVE
ONR WAY LOVE
Sneha Deepti Singh
लहसुन
लहसुन
आकाश महेशपुरी
जोश,जूनून भरपूर है,
जोश,जूनून भरपूर है,
Vaishaligoel
कभी चुभ जाती है बात,
कभी चुभ जाती है बात,
नेताम आर सी
यादें
यादें
Johnny Ahmed 'क़ैस'
विचार , हिंदी शायरी
विचार , हिंदी शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
Shweta Soni
शहीदों के लिए (कविता)
शहीदों के लिए (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
याद तुम्हारी......।
याद तुम्हारी......।
Awadhesh Kumar Singh
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
ruby kumari
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
Manisha Manjari
■ अधकचरों की भीड़ के बीच उपजता है अर्द्धसत्य।
■ अधकचरों की भीड़ के बीच उपजता है अर्द्धसत्य।
*Author प्रणय प्रभात*
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
Vijay kumar Pandey
Maa pe likhne wale bhi hai
Maa pe likhne wale bhi hai
Ankita Patel
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक
देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक
gurudeenverma198
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
कलम के सहारे आसमान पर चढ़ना आसान नहीं है,
कलम के सहारे आसमान पर चढ़ना आसान नहीं है,
Dr Nisha nandini Bhartiya
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
वसुधैव कुटुंबकम है, योग दिवस की थीम
वसुधैव कुटुंबकम है, योग दिवस की थीम
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2349.पूर्णिका
2349.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बंशी बजाये मोहना
बंशी बजाये मोहना
लक्ष्मी सिंह
सुमति
सुमति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बहुत देखें हैं..
बहुत देखें हैं..
Srishty Bansal
मेरी सोच (गजल )
मेरी सोच (गजल )
umesh mehra
★आईने में वो शख्स★
★आईने में वो शख्स★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Loading...