Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 2 min read

सुमति

सुमति

बहुत पुरानी बात है। किसी गाँव में एक लड़की रहती थी। नाम था उसका – सुमति। वह बहुत सुंदर तथा बुद्धिमान लड़की थी। जब वह आठ वर्ष की थी, तब उसकी माँ की मौत हो गई। बाद में उसके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। नई माँ ने आते ही सुमति को सताना शुरू कर दिया। घर के सारे काम कराने के बावजूद उसे ठीक से खाना नहीं देती। खाना माँगने पर वह मारती भी थी।
एक दिन बाद सुमति अपने पिताजी के साथ जंगल लकड़ी बीनने गई। वहाँ पिताजी ने कहा, ‘‘बेटी, तुम यहीं ठहरो। मैं जरा तालाब से पानी पीकर आता हूँ।’’
दोपहर से शाम हो गई, पर पिताजी नहीं आए। तभी उसने देखा, कि एक कबूतर कुछ दूरी पर फड़फड़ा कर गिरा।
वह दौड़कर उसके नजदीक पहुँची। उसे तीर लगा हुआ था। वह सावधानीपूर्वक उसे निकालती है। तभी उस रियासत के राजा और दो सैनिकों ने आकर उसे घेर लिया।
राजा ने कहा, ‘‘कबूतर मेरा है, इसे मुझे दे दो।’’
सुमति बोली, ‘‘क्या यह इसलिए आपका है कि इसे आपने तीर मारा है ?’’
सुमति की बात सुनकर राजा दांग रह गए। राजा ने कहा, “लड़की, तुम्हें पता भी है, मैं इस राज्य का राजा हूँ।
सुमति ने कहा, “तो क्या आपको किसी को भी बेवजह मारने का हक़ है ? क्या बिगाड़ा था इस बेजुबान पंछी ने आपका या आपके राज्य का ?”
राजा सोच में पड़ गए। वे सुमति की बातों से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पूछा कि वह इस घने जंगल में अकेली क्या कर रही है ?
सुमति ने बताया कि वह अपने पिताजी का इंतजार कर रही है।
राजा ने उससे घर के सदस्यों के बारे में पूछा तो सुमति ने सब कुछ सच-सच बता दिया।
उन्हें वास्तविकता समझते देर नहीं लगी। फिर भी राजा ने अपने सैनिकों को उसके पिताजी को खोजने के लिए भेजा।
अंधेरा घिर आया पर जब वह नहीं मिला तो सुमति के बताए अनुसार राजा और उसके सैनिक उसके घर गए। सैनिकों को देखकर देखकर दोनों डर गए। वे राजा के पैरों में गिरकर माफी माँगने लगे।
राजा के सुमति गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘महाराज, मेरे माता-पिता को माफ कर दीजिए। उन्हें मत पकड़िए ! मैं अनाथ हो जाऊँगी।’’
राजा सोच में पड़ गए। बोले, ‘‘सैनिकों, इन्हें छोड़ दो और सुमति, आज से तुम यहाँ नहीं, मेरे राजमहल में रहोगी। वहाँ तुम्हारे ही उम्र की हमारी इकलौती बेटी है, उसकी कोई सखी-सहेली नहीं हैं। तुम उसके साथ रहोगी हमारी दूसरी बेटी बनकर।’’
अब सुमति राजमहल में सुख से रहने लगी।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Language: Hindi
122 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक कहानी है, जो अधूरी है
एक कहानी है, जो अधूरी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
खरगोश
खरगोश
SHAMA PARVEEN
हे मानव! प्रकृति
हे मानव! प्रकृति
साहित्य गौरव
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
Shubham Pandey (S P)
वातावरण चितचोर
वातावरण चितचोर
surenderpal vaidya
"छलनी"
Dr. Kishan tandon kranti
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
ओनिका सेतिया 'अनु '
बिहार, दलित साहित्य और साहित्य के कुछ खट्टे-मीठे प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
बिहार, दलित साहित्य और साहित्य के कुछ खट्टे-मीठे प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
एक शाम उसके नाम
एक शाम उसके नाम
Neeraj Agarwal
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
ज़िंदगी ज़िंदगी ही होतीं हैं
ज़िंदगी ज़िंदगी ही होतीं हैं
Dr fauzia Naseem shad
ना छीनो जिंदगी से जिंदगी को
ना छीनो जिंदगी से जिंदगी को
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
■आज पता चला■
■आज पता चला■
*Author प्रणय प्रभात*
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-360💐
💐प्रेम कौतुक-360💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
The_dk_poetry
पत्रकारो द्वारा आज ट्रेन हादसे के फायदे बताये जायेंगें ।
पत्रकारो द्वारा आज ट्रेन हादसे के फायदे बताये जायेंगें ।
Kailash singh
Safar : Classmates to Soulmates
Safar : Classmates to Soulmates
Prathmesh Yelne
*जय सीता जय राम जय, जय जय पवन कुमार (कुछ दोहे)*
*जय सीता जय राम जय, जय जय पवन कुमार (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
3244.*पूर्णिका*
3244.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रियवर
प्रियवर
लक्ष्मी सिंह
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
I am Me - Redefined
I am Me - Redefined
Dhriti Mishra
सूरज उतरता देखकर कुंडी मत लगा लेना
सूरज उतरता देखकर कुंडी मत लगा लेना
कवि दीपक बवेजा
शैक्षिक विकास
शैक्षिक विकास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्यार ना सही पर कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान,
प्यार ना सही पर कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान,
Vishal babu (vishu)
Loading...