यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
मैंने कहा मुझे कयामत देखनी है ,
ग़ज़ल/नज़्म - शाम का ये आसमांँ आज कुछ धुंधलाया है
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*स्वर्ग तुल्य सुन्दर सा है परिवार हमारा*
“फेसबूक मित्रों की बेरुखी”
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
*साथ तुम्हारा मिला प्रिये तो, रामायण का पाठ कर लिया (हिंदी ग
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
निभाना साथ प्रियतम रे (विधाता छन्द)