शीर्षक -घरौंदा
विषय -घरौंदा
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प्रेम ही प्रेम हो जिसमें,
ऐसा सुंदर सा घरौंदा हो।
प्रेम मोहब्बत की गरमाई,
ऐसा अनमोल सा घरौंदा हो।।
पंछियों से हम सब सीखें,
घरौंदा कैसे सभी बनाते हैं।
एक-एक तिनका जोड़कर,
अपना घरौंदा सजाते हैं।।
बच्चों को सहेज कर रखें,
माँ बनाए अपने घरौंदे में ।
चुन-चुन कर दाना लाए,
खिलाए बच्चों को घरौंदे में।।
जब बच्चे उड़ने लगते तो,
रोज उड़ना वह सिखाती।
अब तुम बच्चे बड़े हो गए,
यह दुनियादारी वह बताती।।
तुम बच्चे अब आजाद हो,
उड़ो परिंदा बनकर तुम ।
सांझ ढले घर में आ जाना,
इसमें ही रात बिताना तुम!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,