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28 Jul 2021 · 1 min read

तलाश

मेरी जिंदगी की हर तलाश अधूरी रह गयी ,
जो ख्वाब देखे उनकी ताबीर अधूरी रह गई।

लोग कहते है ढुढ्ने पर खुदा भी मिल जाता है ,
ख़ुदा क्या मिलेगा जब उसकी राह ही खो गई।

मैं तो उन अरमानों को रोयूं ,जो पूरे न हो सके ,
अपनी तो आंसुओं में सारी जिस्त घुल गई ।

छोटी सी मामूली चीज़ तो ढुढ्ने से मिलती नहीं,
मुझे मंज़िल कहां मिलेगी जो जाने कहाँ खो गई !

जिंदगी में जाने कितनी कीमती चीज़ें मैने खोई,
जिनकी यादें मेरे ज़हन में कैद होकर रह गई।

वो यादें थी मेरे बचपन के सुहाने दिन की दोस्तों !
जो वक्त की रफ्तार में बहुत पीछे छूटी रह गई ।

खुशी ,सुख ,आनंद,शांति और मन का चैन खोया ,
एक बेचैनी ,तड़प और कशमकश बाक़ी रह गई ।

अब मुझे किसकी तलाश है ए जिंदगी तू ही बता,
जिसके ख्याल में डूबकर ठोकर खाकर गिर गई ।

कोई हमदर्द भी न मिला किसे हाल -ऐ- दिल कहूँ ? ,
तलाश -ए-हमराज़ / हमराह भी अधूरी रह गई ।

अब तो बेशुमार दर्द -ओ -गम ही संभाले बैठी हूँ ,
जो इस छोटे से दिल के किसी कोने में रह गई।

“अनु'”के जज़्बातों की किताब बंद रही तमाम उम्र ,
कौन समझता उसे जो दुनिया में पहेली रह गईं।

6 Likes · 4 Comments · 536 Views
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