शीर्षक -काली घटा घनघोर!
विषय -काली घटा घनघोर!
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रिमझिम- रिमझिम पानी बरसे,
छाई काली घटा घनघोर ।
जोरों से बिजली तड़के है,
पवन कर रही जोरों से शोर।।
शीतल मंद सुगंध हवाएंँ,
चल रही हैं धीरे -धीरे ।
लहर -लहर के लहरें आती,
पावन यमुना जी के तीरे।।
महक रही घर की फुलवारी,
चहुंँ और छाई हरियाली।
झूम रही है कुंज गलिन में,
लताओं की हर डाली- डाली।।
काली घटा घनघोर गगन में,
बादल घुमड़- घुमड़ कर आए।
घन बरसत उत्पात करे है,
अंँधियारा चहुँ और है छाए।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,