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7 Jul 2024 · 1 min read

शीर्षक -ओ मन मोहन

शीर्षक -ओ मन मोहन!
————————
मैं तुझसे प्रीत लगा बैठी,
यह मेरी समझ नहीं आया।
वंशी की धुन पर तुमने,
मुझको बहुत रिझाया।
मैं तुझसे नेह लगा बैठी —

पल-पल तेरी याद सताती,
सपनों में भी तू आया।
मैं दीवानी हो गई तेरी ,
मुझको आज समझ आया।
मैं तुझसे लगन लगा बैठी —-

वंशी की धुन पर मुझे रिझाया,
कौन सा जादू किया कान्हा।
रातों को चैन नहीं मुझको,
सुध-बुध अपनी खो बैठी कान्हा।
मैं तुझसे प्रीत लगा बैठी —

ओ मन मोहन तेरे जैसा,
कोई नहीं इस दुनिया में।
तेरे ही रंग में रंग गई हूंँ,
बलिहारी तेरे चरणों में।
मैं तेरी दासी बन बैठी —
मैं तुझसे प्रीत लगा बैठी —

अब तुम लौट आओ कान्हा,
मुझ विरहन पर तरस खाओ।
तेरे बिन सूनी -सूनी गलियांँ ,
अब वापस कान्हा आ जाओ!
मैं तेरे इंतज़ार में पथ में बैठी!!

सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 59 Views
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