शीर्षक -इंतजार तेरा
शीर्षक -इंतजार तेरा!
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किस सोच में तुम बैठी नारी,
वेदना हृदय में छुपाए सारी।
साजन का पथ निहारती तुम,
अँखियां इंतजार करके हारीं।।
रातों को पल-पल जागती,
बस!अँखियां राह ताकती।
कब आओगे मेरे प्रियतम,
हृदय से तुझको पुकारती।।
प्रिय!बैठी हूँ तेरे इंतजार मैं,
तेरी ही प्यास मेरे हृदय मैं।
मुझे मुरलिया बनाके रख लो,
लगा रखना अपने अधरों मैं।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,