Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2023 · 1 min read

फितरत!

फ़ितरत!( विषय)

शीर्षक:मेरी फितरत, तेरी फितरत!

विद्या:स्वतन्त्र(काव्य)

फितरत तेरी भी अजब है।
फितरत मेरी भी अजब है।
फितरत तेरी भी गजब है।
फितरत मेरी भी गजब है।

तूने किया वादा जिंदगी का,
पर चार कदम भी न चला।
मैं थी इतनी मासूम…
न समझी तेरी चालाकी।
तेरे झूठ और फ़रेब का,
मुझे पता भी न चला।

कितने सपने दिखाए तूने,
हर सपना तोड़ दिया।
बनकर संगी मेरा,
संग मेरा दो पल में छोड़ दिया।
“बदल दूंगा रुख़ हवाओं का” कहकर,
तूफानों का रूख मेरी तरफ मोड़ दिया।

सितारों से माँग भरने की खाई कसम।
कहा मुझे अपना दिल,अपना सनम।
तेरे लिए प्रिया,छोड़ दूं दुनियादारी,
निभाऊं बस हर दिल की रस्म।

कैसी फ़ितरत निकली तुम्हारी,
जो दौलत की प्यासी थी।
धोखा,फ़रेब ही तेरी फ़ितरत,
तेरी हर बात बासी थी।
तू बेवफा और मैं बावफ़ा की मूरत,
जाते-जाते न देखा तूने ये तक…
कि मेरे चेहरे पर उदासी थी।

तेरी फ़ितरत में था,न याद करना,
और मेरी मैं,भुलाना नहीं है।
तेरी फ़ितरत में था ,न फरियाद करना,
और मेरी में सनम,रुलाना नहीं है।

न करोगे तुम मुझे याद,
पर मैं तुम्हें याद करूँगी।
तुझे पाने की पल-पल,
मेरे सनम फरियाद करूँगी।

तेरे लौटने की राह पर,
नयन धरती हूँ।
तेरी फितरत गर तेरा आसमां,
तो मैं भी अपनी फितरत की धरती हूँ!

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक

भावार्थः – न फ़ितरत कभी बदली,
न कभी बदलती है।
इस शय पर न कभी,
कोई बात चलती है!

7 Likes · 256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गाली भरी जिंदगी
गाली भरी जिंदगी
Dr MusafiR BaithA
मातु भवानी
मातु भवानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"ये कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
Dr. Man Mohan Krishna
अहमियत 🌹🙏
अहमियत 🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यादों की एक नई सहर. . . . .
यादों की एक नई सहर. . . . .
sushil sarna
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जन्म मरण न जीवन है।
जन्म मरण न जीवन है।
Rj Anand Prajapati
नरम दिली बनाम कठोरता
नरम दिली बनाम कठोरता
Karishma Shah
जमाने से क्या शिकवा करें बदलने का,
जमाने से क्या शिकवा करें बदलने का,
Umender kumar
पैसा
पैसा
Kanchan Khanna
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
*जीतेंगे इस बार चार सौ पार हमारे मोदी जी (हिंदी गजल)*
*जीतेंगे इस बार चार सौ पार हमारे मोदी जी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जख्म भी रूठ गया है अबतो
जख्म भी रूठ गया है अबतो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
মানুষ হয়ে যাও !
মানুষ হয়ে যাও !
Ahtesham Ahmad
गांधी से परिचर्चा
गांधी से परिचर्चा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
‘‘शिक्षा में क्रान्ति’’
‘‘शिक्षा में क्रान्ति’’
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
"हवा भरे ग़ुब्बारों"
*Author प्रणय प्रभात*
*ऐसी हो दिवाली*
*ऐसी हो दिवाली*
Dushyant Kumar
प्रभु जी हम पर कृपा करो
प्रभु जी हम पर कृपा करो
Vishnu Prasad 'panchotiya'
ज़िंदगी को इस तरह भी
ज़िंदगी को इस तरह भी
Dr fauzia Naseem shad
माफी
माफी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2326.पूर्णिका
2326.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
प्रकाश
.*यादों के पन्ने.......
.*यादों के पन्ने.......
Naushaba Suriya
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
Shweta Soni
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
एक गजल
एक गजल
umesh mehra
Loading...