Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2024 · 1 min read

शीर्षक -आँखों का काजल!

विषय – आँखों का काजल!

तेरी आंँखों का काजल लगे ऐसे,
समुद्र में छाई नीली परछाई जैसे।

कजरारी आंँखों का काजल,
हिरनी के नयनों सा लगता है।

काजल भरे नयना देख तेरे,
डूब जाने को मन करता है ।

मेरा यह बावरा मन तेरी,
पलकों का स्पर्श चाहता है।

तेरी आंँखों में लगा काजल,
हृदय को घायल करता है।

काली घटा का घनघोर बादल,
उमड़ -घुमड़ के बरसता है।

मदहोश तेरी आंँखों का काजल,
बुरी नजरों से बचाकर रखता है।

छाया हुआ स्नेहिल स्याही बादल,
तेरी झील सी आंँखों में लगता है!

सुषमा सिंह*उर्मि,,

Language: Hindi
1 Like · 64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sushma Singh
View all
You may also like:
कल की तस्वीर है
कल की तस्वीर है
Mahetaru madhukar
मिल लेते हैं तुम्हें आंखे बंद करके..
मिल लेते हैं तुम्हें आंखे बंद करके..
शेखर सिंह
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
Where is God
Where is God
VINOD CHAUHAN
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दोय चिड़कली
दोय चिड़कली
Rajdeep Singh Inda
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
Sanjay ' शून्य'
घड़ी का इंतजार है
घड़ी का इंतजार है
Surinder blackpen
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
गीत
गीत
Pankaj Bindas
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
4406.*पूर्णिका*
4406.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
किसी दर्दमंद के घाव पर
किसी दर्दमंद के घाव पर
Satish Srijan
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
पूर्वार्थ
अपराजिता
अपराजिता
Shashi Mahajan
" सूत्र "
Dr. Kishan tandon kranti
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
आर.एस. 'प्रीतम'
मुखौटा!
मुखौटा!
कविता झा ‘गीत’
..
..
*प्रणय*
हर रोज याद आऊं,
हर रोज याद आऊं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
मेरी मजबूरी को बेवफाई का नाम न दे,
मेरी मजबूरी को बेवफाई का नाम न दे,
Priya princess panwar
अकेले चलने की तो ठानी थी
अकेले चलने की तो ठानी थी
Dr.Kumari Sandhya
हिन्दी भारत का उजियारा है
हिन्दी भारत का उजियारा है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Loading...