शीर्षक:माँ तुम भी आ जाती
माँ तुम भी आ जाती’
तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए
जैसे
धूप उतर आती हैं
खिड़की की चौखट से झाँक
मेरे कमरे में बिन बुलाए
बिन बताए अचानक ही
तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए
जैसे
बारिश आती हैं
आँगन को नेह से भिगोने
मेरे कमरे तक पिछवाड़ देती
आ जाती बिन बुलाए अचानक ही
तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए
जैसे
आ जाते हैं आँसू
भिगोने गालो को
पुरानी यादों में जाने से
उकेरती यादो को आँसू अचानक ही
तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए
जैसे
स्वप्न आते हैं यकायक ही
यादो को ताजा करने
आ जाती एक बार स्वप्न सी
मेरी यादो में अचानक ही
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद