शीर्षक:मझधार
मझधार में है नैया
तुम छोड़कर ना जाना
एक आस तुमसे ही हैं
मेरी धड़कनो में तुम हो
तुमसे ही जिंदगी हैं
तुम ही मेरी बंदगी हो
आ जाओ तुम करीब
मेरी रगरग में तुम बसे हो
मझधार में है नैया
तुम छोड़कर ना जाना
तुमसे ही सारे सपने
मेरे हो रहे है पूरे
आँचल जो फहराऊ तो
समेत उसको लेना
तुम दूरतक मेरे संग
यूँ ही साथ साथ चलना
मझधार में है नैया
तुम छोड़कर ना जाना
दिल मे अपने मुझे तुम
बस यूँ ही बसाए रखना
साँझ ढले दीपक सा रोशन
मेरी जिंदगी को करना
तुम प्यार मुझको देकर
प्रकाश पुंज सा बनना
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद