शीर्षक:भीना बसंत
१८-
बसंत आने से
भीनी भीनी सुगंध फैलती है
महक उठता है उपवन सारा
बसंत आने से
आ जाती है बहार
चारों ओर होती हरियाली
बसंत आने से
दिल में भी होती उमंग
खिल उठती सरसो से धरा
बसंत आने से
मुझ को वही मिलता अवसर
कुछ लिखने लिखाने का
बसंत आने से
होता सुन्दर मधुर आभास
खिलखिलाए जैसे धरती ओर आकाश
बसंत आने से
कड़कड़ाती सर्दी होती दूर
मीठी सी ठंडक होती मौसम में
बसंत आने से
वह हर उम्र के लोगो में
कराती सुखद अहसास
बसंत आने से
सरसो के फूल करते मन विभोर
तब लिखती मंजू कविता
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद