शीर्षक:बदलना
बस यूँ ही…
प्रकृति का नियम ही होता है
बदलना..
तभी सभी का वक़्त बदलता है
बदलना..
हर मौसम का चक्र व मिज़ाज है
बदलना…
तुममें भी चाहा यूँ ही
बदलना..
इसकी तो उम्मीद ही नहीं की थी
बदलना..
होगा व्यस्तता के लिए अपनी
बदलना …
तुम्हारी प्राथमिकता में रहा होगा
बदलना..
यूँ होगा ये उम्मीद कम से कम तुमसे न थी
बदलना…
उफ़्फ़ तुम्हारा ये मेरे लिए
बदलना..
कुछ तो कमी रही मुझमें यूँ हुआ जो तेरा
बदलना…
उफ़्फ़ तेरा यूँ ही चले जाना तेरा
बदलना…