शीर्षक:अजन्मी की पुकार
अजन्मी की पुकार
माँ तू ही नही मेरी रक्षक तो और कौन होगा
तेरी कोख सुरक्षित नही तो कौन सा स्थान होगा
माँ तेरे आँचल से ज्यादा सुरक्षित और क्या होगा
गोद मे आने का मेरा मन करता क्या तूने सोचा?
माँ तेरे साथ साथ रहने को हर पल दिल करता
तू ही है यदि साथ हो मेरे तो मन खुश रहता
तेरे दामन में ही अपने को सुरक्षित पाया होता
माँ अगर तूने भी दुश्मनों का साथ न दिया होता।
माँ, तू भी दुश्मन बन बैठी अपनी अजन्मी की
मेरी सांसों को, क्यो खामोश कर तू बैठी?
माँ मेरा कसूर क्या था बस जन्म तो दी होती
मुझे मौत नही जीवन देती,दुनिया मे आने तो देती।
माँ तू भी तो बेटी थी नानी की फिर क्या हक तुझे
मेरे प्राणों को यूँ हर लेने का,रूह कांपती हैं मेरी
न जाने क्यो एक बेटी ही बेटी की दुश्मन बन बैठी
माँ तू ही नही मेरी ,तो कौन मेरा अपना यहां।
क्यो विरोध नही किया तूने एक बार भी किसी का
क्यो जन्म से पहले ही मौत की नींद सुलाया मुझे
माँ क्या मेरा कसूर बताओगी आज मुझे
क्यो मारा कोख में ही समझा पाओगी मुझे।
क्या समझ पाओगी मुझे..???