शिकायतें तो बहुत हैं-
शिकायतें तो बहुत हैं-
इस वक़्त से, इन हालातों से,
खुद से, अपने जज्बातों से।
इन दर्दों से, इन धोखों से,
सर्द हवाओं के झोंकों से।
तुमसे जो कि थी उस हर गुजारिश से,
इस बेवक्त, बेमौसम की बारिश से।
जो सजाए थे मैंने उन ख्यालों से,
तुम्हारे उन अटपटे से सवालों से।
अपनी और तुम्हारी हर बात से,
पहली और आखिरी मुलाकात से।
तुम्हारी कभी ना कम होने वाली शिकायतों से,
मेरी तरफ से की गई किफ़ायतों से।
मेरे लबों पर हमेशा तुम्हारे जिक्र से,
हर वक़्त तुमसे ज्यादा तुम्हारी फिक्र से।
तुम्हारे उन कभी न निभाये गए वादों से,
अपना समझकर थामा था उन हाथों से।
तुमने दिखाए थे जो उन सभी सपनों से,
कुछ गैरों से और कुछ अपनों से।
उस कल से और इस आज से,
उस बुरे दौर की शुरुआत से।
अपनी बेवकूफी और नादानियों से,
तुम्हारे झूठों और बेईमानियों से।
दिल की हर धड़कन से, तुम्हारी याद से,
मैंने जो कि थी उस बेअसर फरियाद से।
जिक्र में शामिल थे जो उन लफ़्ज़ों से,
तुम्हारी याद में बहे उन अश्कों से।
उस लम्बे और कभी ना खत्म होने वाले इंतजार से,
झूठे और दिखावे वाले प्यार से।
जिंदगी के हर रिस्क से,
प्यार, मोहब्बत और इश्क से।
अलगाव और जुदाई से,
बेदर्द, बेरहम बेवफाई से।
हमेशा नम रहने वाली अपनी आंखों से,
अभी तलक जिंदा हैं जो उन सभी साँसों से।