*शरीर : आठ दोहे*
शरीर : आठ दोहे
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1)
प्राण देह में जानिए, ईश्वर का वरदान
दो दिन इसका वास है, सचमुच अतिथि समान
2)
तन के भीतर जो छिपा, जानो उसका राज
जिसने जाना बज उठे, सुर लय सारे साज
3)
कभी न करिए देह पर, थोड़ा भी अभिमान
दो दिन की इसकी चमक, फिर यह अंतर्ध्यान
4)
तन में यों चाबी भरी, सौ वर्षों अविराम
चलते-चलते रुक गया, छोड़-छाड़ सब काम
5)
धन की गति चंचल रही, रहता किसके पास
एक छोड़ घर दूसरा, नूतन नित्य निवास
6)
बीमारी ने कर दिया, तन को यों कृशकाय
किसी सेठ की जानिए, लुप्त हो गई आय
7)
जितने जन सब दिख रहे, खा जाएगा काल
बदलेगा परिदृश्य यह, होंगे जब सौ साल
8)
तन तो बूढ़ा हो गया, निर्बल शक्ति-विहीन
मन लेकिन फिर भी रहा, विषयों के आधीन
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451