शब्द की महिमा
शब्द बड़े और शब्द लड़े हैं, शब्द लड़ाई के आधार।
शब्द प्यार और शब्द वार हैं, शब्द संस्कारों का मूलाधार।।
शब्द ज्ञान है शब्द चेतना, शब्द विकास का पहरेदार।
शब्द है धोखा शब्द छलावा, शब्द विघटन का सूत्राधार।।
शब्द जपो तुम शब्द रटो तुम, शब्द करेगा बेड़ा पार।
शब्द है शक्ति शब्द है भक्ति, शब्द मोक्ष का केवल द्वार।।
शब्द का पीछा करना है तो, शब्द चुनो तुम एक ही बार।
शब्द की महिमा बड़ी अनोखी, शब्द मचाते हाहाकार।।
शब्द संयोग और शब्द वियोग है, शब्द के होते रूप हजार।
शब्द जीत और शब्द हार है, शब्द कराते बहुत प्रहार।।
शब्द मित्र और शब्द शत्रु है, शब्द दिखाते हैं व्यवहार।
शब्द नहीं तो कोई नहीं है, शब्द सृष्टि का पालनहार।।
शब्द हँसी और शब्द मजाक है, शब्द हँसाते हैं हर बार।
शब्द है गुस्सा शब्द है नफरत, शब्द रुलाते बारंबार।।
शब्द अस्त्र है शब्द से शस्त्र है, शब्द कराते हैं संघार।
शब्द बिना है ये जग सूना, शब्द की महिमा अपरंपार।।
शब्द दर्द है सब दुआ है, शब्द ही मरहम है हर बार।
शब्द है पूरा शब्द अधूरा, शब्द बिना ना जग का सार।
शब्द बढ़ाए मान तुम्हारा, शब्द कराते हैं सम्मान।
शब्द चुनो तुम सोच समझकर, शब्द तुम्हारी है पहचान।।
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“ललकार भारद्वाज”