शब्दों के चरण में बच्चा
तुम शब्दों को जैसे पिरोगे पन्नों में ।
वो वैसा ही आकर बनते चलेंगे ।।
तुम लिखोगे उसे जब वो पुकारेंगे उसको ।
वो स्याही होगी उसी का दर्पण ।। तुम शब्दों………..
उनकी जुबा है खाली-खाली ।
तुम कैसे-कैसे शब्दों को भरोगे ।। तुम शब्दों………..
दादी की लोरी बुढ़ापे की कैसी ।
उनकी ही शिक्षा बनती रहेगी ।। तुम शब्दों………..
मां की ममता पिता है दर्पण ।
स्याही से शब्दों को है भिगोते ।। तुम शब्दों………..
घर की शिक्षा का मंदिर बना है उनका
वो शब्दों को ही खेल समझते।। तुम शब्दों………..